नए कदम दृढ़ हैं
अपनी राहों पे उन्हें भरोसा है
तो मंजिलें भी चलकर पास आने लगी हैं ....
रश्मि प्रभा
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मेरी तुकबन्दियाँ झेलते हुए आप लोगों को काफी समय हो गया है ...बर्दाश्त की आपकी हद की मैं कायल हो गयी हूँ और कृतज्ञ भी ... कल शाम यूँ ही अपनी डायरी पलटते बेटी ने अपनी कुछ पंक्तियाँ सुनायी ...मैं हैरान ...अंग्रेजी माध्यम से पढ़ी मेरी बेटी ने हिंदी के ये शब्द कब और कैसे चुन लिए ....बढ़ते बच्चे आपको किस कदर हैरान कर देते हैं ... बुलंद हौसले और उनकी चुनी हुई राह पढ़िए उसके ही शब्दों में और उसे अपना स्नेह और आशीर्वाद देकर अनुग्रहित करें ...
वाणी शर्मा
मेरी बेटी की पहली कविता ....
चुन ली मैंने जो राह नयी है ....
चुन ली है मैंने अपने लिए जो राह नई है
सपनों में पंख लगे हैं उड़ान नई है ....
एक मैं हूँ और एक मेरा विश्वास जवां है
इस राह पर देता जो मुझे आसरा है ...
कुछ जिद मेरी है कुछ मेरे उसूल भी हैं
जो मेरी इस राह के पुल बांधे हुए हैं ....
देते नहीं है मुझे भी इजाजत इसे तोड़ने की
दिन -दिन बिता कर रोज और मजबूत हुए हैं ...
सपने भी हैं संजोये यहाँ बड़ी शिद्दत से मैंने
तन्हाई की एक सच्चाई का सामना भी है ...
समझा है जिसने उनसे मिला प्यार भी है
जो ना है समझा उनसे मिली दुत्कार भी है ...
दुःख भी मिले सुख के एहसास भी हैं
कडवापन है इसमें तो कुछ मिठास भी है ...
हर पल मिली मुझे इस पर एक सीख भी है
हर पल मिली खुश रहने की एक चाह भी है ...
राह है जिस पर मिलता मुझे भगवान् मेरा है
डगमगाऊं जो मैं कभी तो मुझको थामता है
कहता है वो ये तू है जिसे मैंने चुना है
इंसान बन और बता कि एक इंसान क्या है
यही राह सिखलाती है मुझे इंसान बनना
दूसरों के आंसूं पोछना है खुशगवार कितना ...
दिल में ठनी एक रार और तकरार सी है
कहती है मुझे तू सही तेरा ईमान सही है
रख मजबूती से कदम भले राह कठिन है
तेरा विश्वास सही है तूने चुनी जो राह सही है
यही मिलती है मुझे मन की तृप्ति मेरी
करती है मेरे इरादों को बुलंद वह चाह यही है
इन्ही हौसलों से मैं कुछ कर गुजरना चाहती हूँ
राह सही है मेरी यही सिद्ध करना चाहती हूँ ...
......श्रुति शर्मा
Wah! Bahut khoob! Khaas kar English medium me padhee bachhee ke lihaaz se!
ReplyDeleteइन्ही हौसलों से मैं कुछ कर गुजरना चाहती हूँ
ReplyDeleteराह सही है मेरी यही सिद्ध करना चाहती हूँ ...
वाह ...बहुत ही खूबसूरत, शुरूआत बहुत ही अच्छी है और पूरी तरह आपका लेखनी का असर भी ...बधाई हो बेटी की इस प्रथम उपलब्धि पर ...।
कुछ जिद मेरी है कुछ मेरे उसूल भी हैं
ReplyDeleteजो मेरी इस राह के पुल बांधे हुए हैं ....
aura
इन्ही हौसलों से मैं कुछ कर गुजरना चाहती हूँ
राह सही है मेरी यही सिद्ध करना चाहती हूँ ...
बहुत ही प्ररक पँक्ल्तियाँ है। लगता है बेटी साहित्य मे भी नाम कमायेगी। बहुत अच्छी लगी कविता बधाई और बिटिया को आशीर्वाद।
कुछ जिद मेरी है कुछ मेरे उसूल भी हैं
ReplyDeleteजो मेरी इस राह के पुल बांधे हुए हैं ....
दुःख भी मिले सुख के एहसास भी हैं
कडवापन है इसमें तो कुछ मिठास भी है ...
कहता है वो ये तू है जिसे मैंने चुना है
इंसान बन और बता कि एक इंसान क्या है
इन्ही हौसलों से मैं कुछ कर गुजरना चाहती हूँ
राह सही है मेरी यही सिद्ध करना चाहती हूँ ...
नयी राह की ओर बढते कदम और इतना गहन चिंतन ....मन को बहुत भाया ....जो उसूलों पर चलते हैं उनको मंजिलें ज़रूर मिलती हैं ...और फिर बढ़ जाते हैं कदम नयी मंजिल की तलाश में ....बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ..श्रुति को आशीर्वाद
पहले भी पढी थी ………इस उम्र मे इतनी गहनता है कि आगे संभावनायें प्रबल हैं…………बस यही दुआ है इसी प्रकार आगे बढती रहे।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत, शुरूआत बहुत ही अच्छी है और पूरी तरह आपका लेखनी का असर भी ...बधाई हो बेटी की इस प्रथम उपलब्धि पर ...।
ReplyDeleteइन्ही हौसलों से मैं कुछ कर गुजरना चाहती हूँ
ReplyDeleteराह सही है मेरी यही सिद्ध करना चाहती हूँ ...
Feelings has been expressed very nicely and it is full of true emotions.Congrats.
कविता को यहाँ देखना बड़ा सरप्राईज़ है मेरे लिए ...
ReplyDeleteबेटी तो ख़ुशी के मारे उछल ही रही है ...
आप सबका स्नेह बना रहे !
दृढ निश्चय हर रास्ता सरल बना देता है...behtari abhivyakti, yadi yeh pahla prayaas hai, to aage kya kya honga janaab,,[:)]
ReplyDeleteveena mem !
ReplyDeletenasmkaar !
bitiyaa rani ki pehli kavita ke liye bahut bahut badhai .
saadar!
कुछ जिद मेरी है कुछ मेरे उसूल भी हैं
ReplyDeleteजो मेरी इस राह के पुल बांधे हुए हैं ....
दुःख भी मिले सुख के एहसास भी हैं
कडवापन है इसमें तो कुछ मिठास भी है ...
बहुत ही खूबसूरत और गहन चिंतन आशीर्वाद श्रुति को........
इन्ही हौसलों से मैं कुछ कर गुजरना चाहती हूँ
ReplyDeleteराह सही है मेरी यही सिद्ध करना चाहती हूँ ...
सकारत्मक सोच से लिखी सुंदर कविता -
सोच में दृढ निश्चय भी झलकता है -
रास्ता साफ़ दिख रहा है बढे चलो.
अनेक शुभकामनाएं
इन्ही हौसलों से मैं कुछ कर गुजरना चाहती हूँ
ReplyDeleteराह सही है मेरी यही सिद्ध करना चाहती हूँ ...
bitiya ka sakratmaktabhari pahle rachna padhna bahut achha laga...
hamari bahut bahut shubhkamnayen
sundar prastuti ke liye aabhar
इस उम्र में ये गहनता और वो भी हिंदी में ..बहुत अच्छा लगा देख पढ़ कर ..ढेर सारी शुभकामनाये श्रुति को
ReplyDeletewah bahut sundar......
ReplyDeletepahli kavita ki bahut bahut badhai...
इन्ही हौसलों से मैं कुछ कर गुजरना चाहती हूँ
ReplyDeleteराह सही है मेरी यही सिद्ध करना चाहती हूँ ...
bahut sundar hai.
श्रुति को शुभकामनाएं और वाणी जी को बधाई।
ReplyDeletekitna sunder likha hai shruti ne
ReplyDeletebahut khub
...
वाह श्रुति बिटिया तो बहुत अच्छी लिखती है ... मेरी हार्दिक शुभकामनायें !
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