तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं
तुम्हें सोचते हुए
मेरी आँखों से ख़्वाबों की बारिश होती है
जो सीधे चनाब को जाती है ...




रश्मि प्रभा



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तेरा अहसास........मन मेरे
तेरा अहसास.....मन मेरे
मेरे वजूद को
सम्पूर्ण बना देता है
और मैं
उस अहसास के
दायरे में सिमटी
बेतस लता सी
लिपट जाती हूँ
तुम्हारे स्वप्निल स्वरूप से
तब
मेरा वजूद
पा लेता है
एक
नया स्वरूप
उस तरंग सा
जो उभर आती है
शांत जल में
सूर्य की पहली किरण से
झिलमिलाती है ज्यूँ
हरी दूब में
ओस की नन्ही बूंद
तेरी वो खुली बाहें
मुझे समा लेती हैं
जब
अपने आगोश में
तो मन मेरे
मेरा होना सार्थक
हो जाता है
मेरा अस्तित्व
पूर्णता पा जाता है
और उस
समर्पण से अभिभूत हो
मेरी रूह के
जर्रे जर्रे से
तेरी खुशबू आने लगती है
और
महक जाता है
मेरा रोम रोम......
पुलकित हो उठता है
एक सुमन सा
तेरे अहसास का
ये दायरा
पहचान करा देता है
मेरी
मेरे वजूद से
और
मेरे शब्दों को
आकार दे देता है
मेरी कल्पना को
मूरत दे देता है....
मैं
उड़ने लगती हूँ
स्वछ्न्द गगन में
उन्मुक्त
तुम संग
निर्भीक ,निडर
उस पंछी समान
जिसकी उड़ान में
कोई बन्धन नहीं
बस हर तरफ
राहें ही राहें हों.....
मन मेरे
तेरा ये अहसास
मुझे खुद से मिला देता है
मुझे जीना सिखा देता है
मन मेरे.....
मन मेरे......


मेरा नाम सुमन 'मीत'
मेरी पहचान
पूछी है मुझसे मेरी पहचान;
भावों से घिरी हूँ इक इंसान;
चलोगे कुछ कदम तुम मेरे साथ;
वादा है मेरा न छोडूगी हाथ;
जुड़ते कुछ शब्द बनते कविता व गीत;
इस शब्दपथ पर मैं हूँ तुम्हारी “मीत”!!


IMG0079A.jpg

13 comments:

  1. तेरा ये अहसास
    मुझे खुद से मिला देता है
    मुझे जीना सिखा देता है
    ‘मन’ मेरे.....
    बहुत खूब ...सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ।

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  2. वाह वाह ये अह्सास ही जीने की वजह बन जाता है…………बेहद खूबसूरत्।

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  3. तेरा ये अहसास
    मुझे खुद से मिला देता है
    मुझे जीना सिखा देता है
    ‘मन’ मेरे.....
    ‘मन’ मेरे....

    सच्चे और कोमल अहसासों का सुन्दर चित्रण किया है। आपने सुमन जी!सुन्दर लेखन, बधाई!

    रश्मिप्रभा जी,
    आप इतने कम शब्दों से भी भावो का जादू प्रस्तुत कर देतीं है, आदर सहित बधाई!

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  4. .


    भावों में बहती शब्दावली, जबरन कुछ भी नहीं लगता.
    अनुभूत सत्य को ज्यूँ का त्यूँ रख देने का प्रयास.
    वाह.. आनंद आया पढ़कर.


    .

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  5. तेरा ये एहसास मुझे खुद से मिला देता है ..मन मेरे ..
    सुन्दर !

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  6. तेरा ये एहसास मुझे खुद से मिला देता है ,मन मेरे
    सुन्दर !

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  7. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (12.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  8. बहुत खूबसूरत अहसास की पाती ..सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार

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  9. निरभ्र आकाश हो
    उड़ने का ख़्वाब हो
    बावरे मन का साथ हो
    तो कुछ पाने में देर कहाँ लगती है......
    सुमन जी ! एक बेहतरीन रचना प्रस्तुत की है आपने ......बधाई !!!

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  10. मेरी रूह के
    जर्रे जर्रे से
    तेरी खुशबू आने लगती है
    और
    महक जाता है
    मेरा रोम रोम......
    पुलकित हो उठता है

    सुन्दर और भावपूर्ण कविता । बधाई।

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  11. एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...

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  12. शुक्रिया रश्मि जी.......मेरी रचना को स्थान देने के लिये ......
    सभी दोस्तों का बहुत बहुत शुक्रिया पसन्द करने के लिये.....

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  13. बहुत सुन्दर एहसास..........प्यार का सुन्दर रूप......... तुम्हारा मन....... बहुत सुन्दर..... :))))))

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