राह बड़ी लम्बी है ...
कुछ तो छोटी हो जाएगी !
रश्मि प्रभा
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अजनबी
किसी लम्बी सी राह पर दो अजनबी का मिलना ,
एक साथ है ,
दो हाथ है ,
एक ख़ामोशी है ,
दो जुबाँ है ,
एक चाह है ,
फिर भी दो राह है ....
एक चाह होती है ,
फिर भी दोनों की राह बदलती है .....
चलते चलते रुक जाओ ,
अपने सपने को फिर से सोचो ,
शायद सामने वही तो है
जो सपने में पुकारता था ,
जो दिल पर दस्तक देकर छुप जाता था ,
जिसका तुम्हे इंतज़ार था ,
आपका दिल हर पल बेक़रार था ,
ये संयोग है ,
चलो आज उसके भरोसे जिंदगी सौंप दो ,
उसकी ख़ामोशी को पढ़ लो ...
मैं प्रीति हितेश टेलर .... ब्लॉग हाँ ये आज कल बहु प्रसिध्ध आयाम है लेखन कलाका ...पर इसके लिए लेखक होना शायद जरूरी न हो ...अपनी अनुभुतिओंको शब्दोकी लड़ियोंमें पिरोने का एक सुन्दर माध्यम ...यहाँ आप अपने दिल को टटोलते है ,उसकी भावना शब्दों बनाकर बहार ले आते है .... बस कुछ ऐसा ही मेरा प्रयत्न ...पर ये मेरी कोशिश की दुनियाको जो मैं हरदम अपने चश्मेसे देखती हूँ उसका अक्स शायद आपके साथ बाँट लूँ ....वो चाहे शब्द्पाशमें बंधी एक कविता हो शायरी हो या कोई लघुकथा ....मेरे रोजाना जिंदगीसे चुराया हुआ एक पल ..एक मौसम ...एक ज़िद ...एक ख़ुशी ...या फिर एक गम ...जहाँ शब्दों में बारिश भी हो या रेगिस्तान की धुप भी ...हाँ यहाँ सिर्फ मैं नहीं हूँ ......सिर्फ है प्रीति ....
वाह ...बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ...प्रस्तुति के लिये आभार ।
ReplyDeleteइसी भरोसे और इसी खामोशी पर तो ज़िन्दगी की डोर सौंप दी जाती है…………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता ..
ReplyDeleteशुभकामनाये...
बहुत सुन्दर ..
ReplyDeletebadhiyaa
ReplyDeleteउसकी ख़ामोशी को पढ़ लो ...
ReplyDeleteवाह, क्या कहने !
आद.रश्मि जी,
ReplyDelete"एक ख़ामोशी है ,
दो जुबाँ है ,
एक चाह है ,
फिर भी दो राह है ...."
सुन्दर शब्द संयोजन !
प्रीति जी की कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद !
अच्छी रचना।
ReplyDeleteसुन्दर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और बहुत ही गहरे भाव !
ReplyDeleteशुभकामनाये...
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteउसकी ख़ामोशी को पढ़ लो ...
ReplyDeleteवाह, क्या कहने !
प्रीति जी की कविता .....बेहतरीन प्रस्तुति..के लिए आपको बधाई।
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