मिट्टी के चूल्हे पर
शर्मीली आँखों का तवा रख
ख़्वाबों की रोटियाँ सेंक ली है
लरज़ते ख्यालों की सब्जी में
प्यार का तड़का लगाया है
उसके आने की खुशबू
हवाओं में फैली है
इंतज़ार की अवधि को
जायकेदार नमक के साथ
कुरमुरा बनाया है
मनुहार की चाशनी
उसे रोक ही लेगी ... और कहेगी प्यार के इस ख़ास दिन को ख़ास ही रहने दो ...
वेलेंटाइन डे
वेलेंटाइन डे
शब्द विदेशी
याद भी विदेशी
लेकिन एक साधारण दिन में असाधारण अहसास
वो भी बिलकुल देशी...
क्योंकि मोहब्बत का
प्रेम का, प्यार का साथ
देता है खुबसूरत विश्वास.....
एक दूसरे के प्रति चाहत हो जाती है उस दिन खास...
वैसे ये मुआ प्रेम है क्या?
हमारी देशी सोच कहती है
सब कुछ समर्पित कर देना
बिना सोचे सब कुछ खो देना
और फिर चहकते रहना.
किसी दूसरे के लिए सिर्फ जीना....है न...
प्रेम - अपने अन्दर
समेटे रखता है पूरी कायनात
जिंदगी की अनगिनत सच्चाई
होती है उस में लिपटी..
ये है वीरान जिंदगी में
खिला ऐसा फुल
जो महकाता है ब्रह्माण्ड
पर हाँ! इस खास दिन का प्रेम
बन गया ग्लोबल प्रेम
क्यूंकि इस प्रेम में उपस्थित
सेक्स व देहिक सोंदर्य
हो गया है लौकिक और फिजिकल !!
अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."
Bahut sundar!
ReplyDeleteवाह। बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteप्रेम को लेकर मेरी एक पोस्ट पर नजर डालें और अपने विचार वहां रखें तो अच्छा लगेगा।
सब कुछ समर्पित कर देना
ReplyDeleteबिना सोचे सब कुछ खो देना
और फिर चहकते रहना.
किसी दूसरे के लिए सिर्फ जीना....है न...
दूसरे के प्रति समर्पण ही मुहब्बत है ...खूबसूरत अभिव्यक्ति ...
जायकेदार नमक के साथ
कुरमुरा बनाया है
मनुहार की चाशनी
उसे रोक ही लेगी ... और कहेगी प्यार के इस ख़ास दिन को ख़ास ही रहने दो ...
कुछ खास है :):)
मनुहार की चाशनी
ReplyDeleteउसे रोक ही लेगी ... और कहेगी प्यार के इस ख़ास दिन को ख़ास ही रहने दो
वाह क्या बात है सुन्दर रचना
अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."
महेश जी ने भी बहुत सुन्दर सार्थक सन्देश दिया है। बधाई।
आपकी रचना बहुत सुन्दर और सारगर्भित है,बधाईयाँ !
ReplyDeleteya baat hai sir,bahut acchi kavita
ReplyDeleteप्रेरक सन्देश...
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeletedhanywad rashmi di......:)
ReplyDeleteवाह क्या समय् अनुकूल रचना है..बहुत बढ़िया.
ReplyDeletebahut Sundar, perfect Rachna...!
ReplyDeleteरश्मि दी, सही में इस खास दिन को खास ही रहने देना चाहिए. और मनोज जी की निर्मल सोच वाकई में निर्मल और अद्भुत है. जब सदियों से गंगा पवित्र मानी जाती है तो प्रेम की गंगा अब भी हर जगह बहती है और पवित्र पावन तो है ही.
ReplyDeleteवैसे ये मुआ प्रेम है क्या ?
ReplyDeleteहमारी देशी सोच कहती है
सब कुछ समर्पित कर देना
...................................
बहुत सुन्दर ..भावपूर्ण ....सार्थक कवितायें
मिटटी का चुल्हा
ReplyDeleteआँखों का तवा
ख्वाबों की रोटियां,
वाह! क्या बात है!
मुकेश जी की रचना बहुत सुन्दर है और आपकी भूमिका की तो कोई जवाब नहीं है ...
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत सुन्दर और सारगर्भित है,बधाईयाँ !
ReplyDeleteमुकेश भाई की कवितायेँ सदैव ही प्रभावित करती हैं.. इसी क्रम में एक और सुन्दर कविता... प्रेम को प्रेम के पर्व पर सुन्दरता से अभिव्यक्त किया गया है... बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteअगर इस दिन
ReplyDeleteहो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ...
बहुत सुन्दर सार्थक सन्देश... .... बधाई।
कहना अनुचित न होगा कि,आखिर,
ReplyDeleteपुरुष के हृदय का रास्ता जाता उसके पेट से ही होकर है!
आदर सहित!
रश्मि जी आपके बनाए भोजन के जायके का तो कोई ज़वाब हो ही नहीं सकता...
ReplyDeleteप्रेम - अपने अन्दर
समेटे रखता है पूरी कायनात
जिंदगी की अनगिनत सच्चाई
होती है उस में लिपटी.
प्रेम का बहुत सुन्दर अहसास..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
इंतज़ार की अवधि को
ReplyDeleteजायकेदार नमक के साथ
कुरमुरा बनाया है
मनुहार की चाशनी
उसे रोक ही लेगी ... और कहेगी प्यार के इस ख़ास दिन को ख़ास ही रहने दो ...
आद.रश्मि जी,
प्यार का खबसूरत रंग अभिव्यक्ति के नए अंदाज़ में ढलकर और भी खूबसूरत हो गया है !
रश्मि जी आपने अपनी कविता में अद्भुत प्रयोग किए हैं-चमत्कृत कर रहे हैं शब्द।
ReplyDeletebahut achchi lagi....
ReplyDeleteआपको मेरी प्यार भरी शुभकामनायें
ReplyDeleteअगर इस दिन
ReplyDeleteहो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ...
बहुत सुन्दर सार्थक सन्देश... .... बधाई।
आपको मेरी प्यार भरी शुभकामनायें
bahut hi khoob.
ReplyDeletebahut achhi rachna, is soch ko lekar sab chle fir kya baat ho...jyoti se jyoti jalaate chalo prem ki ganga bahate chalo, bahut badhai aur shubhkaamnaayen.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteon ORKUT:
ReplyDeleteINDU PURI GOSWAMI:
जो भी है ये दिन प्यार का संदेश देता है.माने ना मने कम से कम इस दिन तो हर व्यक्ति इस खूबसूरत भाव को याद करता ही है. मेरे लिए प्यार सदा ईश्वर का दूसरा नाम रहा है इसलिए मैं हर दिन को वेलेंटाइन डे ही समझ कर जीती हूँ.
क्या करू?ऐसीच हूँ मैं तो.
तुम्हारी कविता भी यही सब कह रही है.है ना?
THANX TO ALL!!
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