एक ही सच !कहीं सही, कहीं गलत, और कहीं वक़्त की मांग !
रोटी में कभी चाँद कभी भूख कभी हवस !
कोई शरीर को आत्मा बना जीता है कोई शरीर को माध्यम बना जीता है
रोटी में कभी चाँद कभी भूख कभी हवस !
कोई शरीर को आत्मा बना जीता है कोई शरीर को माध्यम बना जीता है
कोई शरीर को टुकड़े-टुकड़े में विभक्त कर जीता है
बात कहीं गलत तो कहीं सही कहीं व्यथा बनकर चलती है
किसी की ज़िन्दगी थम जाती है
कोई पीछे मुड़कर नहीं देखता ...एक ही कैनवस पर सोच अलग-अलग होती है !
रश्मि प्रभा
============================================================
सफलता
बहुत कुछ खोना पड़ता है
एकलव्य की तरह
आगे बढ़ने लिये |
राह चुननी पड़ती है
उस पर चलने के लिये |
होता आवश्यक
नियंत्रण मन पर
भटकाव से बचने के लिये
ध्यान केन्द्रित करने के लिये |
किसी कंधे का सहारा लिया
और बन्दूक चलाई भी
तब क्या विशेष कर दिया
यदि अपनी शक्ति दिखाई होती
सच्चाई सामने होती |
झूठा भरम टूट जाता
निशाना सही था या गलत
स्पष्ट हो गया होता |
सफलता चूमती कदम उसके
जो ध्यान केन्द्रित कर पाता
मनन चिंतन उस पर कर पाता |
जो भी सत्य उजागर होता
उस पर सही निर्णय लेता
यही क्षमता निर्णय की
करती मार्ग प्रशस्त उसका |
उस पर कर आचरण
जो भी फल वह पाता
शायद सबसे मीठा होता |
है सफलता का राज़ यही
कभी सोच कर देखा होता |
आशा
रश्मि प्रभा
============================================================
सफलता
बहुत कुछ खोना पड़ता है
एकलव्य की तरह
आगे बढ़ने लिये |
राह चुननी पड़ती है
उस पर चलने के लिये |
होता आवश्यक
नियंत्रण मन पर
भटकाव से बचने के लिये
ध्यान केन्द्रित करने के लिये |
किसी कंधे का सहारा लिया
और बन्दूक चलाई भी
तब क्या विशेष कर दिया
यदि अपनी शक्ति दिखाई होती
सच्चाई सामने होती |
झूठा भरम टूट जाता
निशाना सही था या गलत
स्पष्ट हो गया होता |
सफलता चूमती कदम उसके
जो ध्यान केन्द्रित कर पाता
मनन चिंतन उस पर कर पाता |
जो भी सत्य उजागर होता
उस पर सही निर्णय लेता
यही क्षमता निर्णय की
करती मार्ग प्रशस्त उसका |
उस पर कर आचरण
जो भी फल वह पाता
शायद सबसे मीठा होता |
है सफलता का राज़ यही
कभी सोच कर देखा होता |
आशा
I am M.A. in Economics& English.Though I was a science student and
wanted to become a doctor,I could not. I joined education department
as a lecturer in English.I have a little literary taste .
wanted to become a doctor,I could not. I joined education department
as a lecturer in English.I have a little literary taste .
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteयदि अपनी शक्ति दिखाई होती
ReplyDeleteसच्चाई सामने होती |
झूठा भरम टूट जाता
निशाना सही था या गलत
स्पष्ट हो गया होता |
सफ़लता का मूल मंत्र दे दिया…………प्रेरणादायी रचना।
आशा का संचार करती कविता.. बहुत सुन्दर
ReplyDeleteशिक्षाप्रद और प्रेरक सुन्दर कविता ...
ReplyDeleteजो भी फल वह पाता
ReplyDeleteशायद सबसे मीठा होता |
है सफलता का राज़ यही
कभी सोच कर देखा होता |
बहुत सही राह बताती सार्थक रचना -
आभार .
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबेहतरीन कविता ...प्रेरणादायी ।
ReplyDeletesandeshaatmak rachna,
ReplyDeleteaak ke daur me hamare Pm sahib ko seekhna chaiye, ki kuhd nirnaye kasie le!
उस पर सही निर्णय लेता
ReplyDeleteयही क्षमता निर्णय की
करती मार्ग प्रशस्त उसका |
उस पर कर आचरण
जो भी फल वह पाता
शायद सबसे मीठा होता |
है सफलता का राज़ यही
कभी सोच कर देखा होता |
विचारों में नई स्फूर्ति का संचार करती हैं ये पंक्तियाँ !
आभार !
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeletearun jee ne sahi kaha...asha ka sanchar karti asha di ki kavita...:)
ReplyDeleteसार्थक एवं प्रेरक रचना।
ReplyDelete---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
उत्कृष्ट प्रस्तुति।
ReplyDeleteदोनों रचनायें उत्कृष्ट हैं। अपनी-अपनी दृषटि से सफलता एवम् उसके मार्ग की बाधाओं को रेखांकित करती हैं।
ReplyDeleteआकांक्षा जी की रचना में एकलव्य आख्यान का उचिन स्थान पर समायोजन किया गया है।
आप लोगों की टिप्पणी प्र्त्साहित करती हैं |बहुत बहुत आभार आप सब का |
ReplyDeleteआभार रश्मी जी का कि उन्होंने वतवृक्ष पर आने का अवसर दिया |
आशा
एक बहुत ही प्रेरक एवं सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteदूसरों के कंधे पर रखकर बन्दूक चलायी तो क्या क्या बात होती जब हिम्मत से सच्चाई का सामना किया होता ...
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब !
यदि अपनी शक्ति दिखाई होती
ReplyDeleteसच्चाई सामने होती |
झूठा भरम टूट जाता
निशाना सही था या गलत
स्पष्ट हो गया होता |
.........................sundar kavita
यदि अपनी शक्ति दिखाई होती
ReplyDeleteसच्चाई सामने होती |
झूठा भरम टूट जाता
निशाना सही था या गलत
स्पष्ट हो गया होता |
.........................sundar kavita
बहुत कुछ खोना पड़ता है
ReplyDeleteएकलव्य की तरह
आगे बढ़ने लिये |
राह चुननी पड़ती है
उस पर चलने के लिये |
होता आवश्यक
नियंत्रण मन पर
भटकाव से बचने के लिये
ध्यान केन्द्रित करने के लिये |....
जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।
बहुत कुछ खोना पड़ता है
ReplyDeleteएकलव्य की तरह
आगे बढ़ने लिये |
राह चुननी पड़ती है
उस पर चलने के लिये |
होता आवश्यक
नियंत्रण मन पर
भटकाव से बचने के लिये
ध्यान केन्द्रित करने के लिये |....
बहुत सुन्दर सार्थक सन्देश देती रचना के लिये आशा जी को बधाई।