रिश्तेदारों की भीड़ है
कोई इससे जुड़ा है
कोई उससे जुड़ा है
सब की एक पारिवारिक अहमियत है
सुनना पड़ता है ...
'कड़वे बोल तो उसकी आदत हैं '
कौन सा हमेशा मिलना है !'
'चुप ही रह जाओगे
तो कौन सी आफत आ जाएगी !'
....
नसीहतों के आगे
इस भीड़ के मध्य
आपको अपेक्षाओं से दूर रहना है
एक छोटी सी ख्वाहिश से भी गुजरे
तो रिश्ता ख़त्म !
....
उनकी आदत के आगे
अपनी आदत के विषय में सोचकर
आप बेवजह उनका अपमान कर रहे !
इन विचारवानों के आगे
अपने तुच्छ विचारों का पुलिंदा ना खोलें ...
..... अरे भाई क्या ज़िद है !
जाइये जो दिल करे कीजिये !
गाली ही दिया है न
जान तो नहीं ले ली ...
चुप रहेंगे तो आपको गाली छुएगी भी नहीं ...
क्या कहा ?
रात को गाली हथौड़े की तरह चलती है दिलोदिमाग में ?
........ ध्यान कीजिये '
ईश्वर का नाम लीजिये -
बहुत फायदा होगा ...
और फिर भी करवटें बदल रहे
तो यह आपका प्रॉब्लम है !
माफ़ कीजिये ,
आपको समझाना टेढ़ी खीर है !!!
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रश्मि प्रभा

15 comments:

  1. बहुत भाव पूर्ण प्रस्तुति |सुन्दर शब्द चयन |बधाई
    आशा

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  2. ऐसा ही होता है अक्सर ... रिश्तेदारी में ... सामाजिक परम्पराओं में ... व्यक्ति और भावनाओं का कदर नहीं होता ...

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  3. indraneel jee ne sach kaha...:)
    reeshte ke dabab me kuchh bhi sahi nahi ho pata...!

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  4. bahut bahut sundar di, chhup rahene se kafi labbh milta he, ek dam sahi baat, abhi mujhe bhi ek shadi me jana he, apne parivaar ki taraf se,apne in jaise rishtedfaron ke pass, kyunki rishtedari ka nirvah karna he, har tarha ke log hain di is duniya me.

    lekin aapki salah sir aankho par, koi kuch bole 1-2 din ka mailna hota he, saalon ke baad, fir sab apne apne ghar is liye chhup rehna hi behtar he!


    sundar prastuti!
    kuch apni si!

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  5. किसी के समझाये कौन मानता है सच मे किसी को समझाना टेढी खीर है।

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  6. अपनी-अपनी सोच है।
    यह यथार्थ है कि रिश्तेदारी में जाने पर रिश्तेदारों के बीच कुछ ऐसी ही अनुभूति हो जाती है।


    पर ध्यान नहीं देते।
    सबका अपना दायरा है
    कुछ लोग उससे निकल नहीं पाते।


    श्रीमती कुसुम जी ने पुत्री के जन्म के उपलक्ष्य में आम का पौधा लगाया

    श्रीमती कुसुम जी ने पुत्री के जन्म के उपलक्ष्य में आम का पौधा लगाया है।
    ‘वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर’ एवं सम्पूर्ण ब्लॉग परिवार की ओर से हम उन्हें पुत्री रूपी दिव्य ज्योत्स्ना की प्राप्ति पर बधाई देते हैं।

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  7. आपको समझाना टेढ़ी खीर है !!!
    सच में...... :)

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  8. बिल्‍कुल सच कहा है आपने ऐसे में किसी को समझाना टेढ़ी खीर ही है इससे बेहतर है खुद को समझाना ...जो अक्‍सर करना पड़ता है ...यह रचना एक संदेश भी दे रही है ...आभार इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये ।

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  9. 'आपको समझाना टेढ़ी खीर है !' व्यंग्य है, अक्सर जो चुप रहते हैं , दबी ज़ुबान से कुछ कहते हैं , भाषण उन्हें ही सुनना पड़ता है और अजीजी से कहते हैं लोग -'आपको समझाना टेढ़ी खीर है !'

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