कौन जानता है !!!
=================================================================
आज जोशी जी अपने लडके के लिये लडकी देखने जा रहे थे। वो उच्च पद से रिटायर्ड व्यक्ति थे एक ही बेटा था इस लिये चाहते थे कि शादी धूम धाम से हो। उच्च पद पर रहने से शहर मे उनकी मान प्रतिष्ठा थी। कई संस्थायें उन्हें अपने समारोह मे बुलाती जहाँ कई बार उन्हें समाज मे पनप रही बुराईओं पर वक्तव्य भी देने पडते। इस लिये लोग उन्हें समाज सुधारक भी मानते थे।
लडकी के घर पहुँचे। लडके लडकी मे बात चीत हुयी और दोनो ने एक दूसरे को पसंद कर लिया। लडकी के पिता को अन्दर से ये डर खाये जा रहा था कि पिछली बार की तरह इस बार भी दहेज पर आ कर बात न्न अटक जाये। पिछली बार लडके ने कार की माँग रख दी थी। उन्होंने अपना शक मिटाने के लिये जोशी जी से पूछा- " जोशी जी , अब आगे की बात भी हो जाये।यूँ तो हर माँ बाप अपनी बेटी को कुछ न कुछ दे कर ही विदा करता है, फिर भी अगर आपकी कोई डिंमाँड हो तो हमे निस्संकोच बता दें ।"
" शर्मा जी आपको पता है हमारे घर मे भगवान का दिया सब कुछ है अगर फिर भी आप इतना आग्रह कर रहे हैं तो बता देना चाहता हूँ कि हमे कुछ नही चाहिये, आप कन्यादान स्वरूप इन दोनो के नाम एक ज्वाँइट एकाउँट खुलवा कर उसमे राशी जमा करवा दें"
बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeletesunder kahani.
ReplyDeleteसमाज का दोहरा चेहरा दर्शाती लघु कथा ... बेहतरीन प्रस्तुति ...
ReplyDeleteशंका समधान और आग्रह का दोहरा चेहरा!!
ReplyDeleteनिर्मलाजी को बधाई!! रश्मि जी, शानदार प्रस्तुति
dhanyavaad rashmijee
ReplyDeleteअच्छी रचना।
ReplyDeleteसुंदर सन्देश देती बढ़िया प्रस्तुती. शायद सच्चाई अभी भी यही है.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लघु कथा.
ReplyDeleteदोहरा एवं कुरूप चेहरा...
ReplyDeleteन जाने ये दहेज़ किस-किस चेहरे में, किस-किस रूप में हमारे समाज को निगलता रहेगा...
अच्छी प्रस्तुती,
ReplyDeleteye dohra charitra to har kadam par najar aata hai !
ReplyDeleteachhi prastuti !