मेरे दिल के ख्वाबगाह में
गुनगुनाता है एक ग़ज़ल कोई
जो तुम्हारी शक्ल लेता है !
मेरी तूलिका ने बाँधा है इन लम्हों को
आज तुमने मुझे
शायराना ख्यालों की वसीयत दी है....
रश्मि प्रभा
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मेरे हिस्से का सूरज ...
तुमसे मिलना ,
एक अजीब इतफाक था
अँधेरे मे गूम होते
मेरे अस्तित्व
को एक सूरज तुमने दिया था
जिसकी रौशनी मे
मैंने खुद को जाना
जीवन ख़तम नहीं हुआ
इस बात को भी पहचाना
अजीब मंज़र था वो भी
अपना हाल
किसी को भी न सुनाने वाली लड़की
एक अजनबी के सामने
तार तार होके बिखर गयी थी
तुमने बहुत ख़ामोशी
से सबकुछ सुना था
तुम्हरी मदद से
मैंने वापस जिंदगी का
ताना बाना बुना था
तुम्हारा संतावना देता स्पर्श
आज भी महसूस करती हूँ
आज भी जब भी अँधेरा होता है
वो सूरज रोशन करता है जीवन
जो तुमने मुझे दिया था
तब मैंने जाना था
एक पुरुष और स्त्री
का सम्बन्ध
ऐसा भी हो सकता है
अगर इसे नाम देना
जरुरी हो तो
कह सकती हूँ
तुम हो
मेरे हिस्से का सूरज .
मंजुला
बहुत साधारण हूँ चीजों को पेचीदा बनाना मुझे पसंद नहीं , कोशिस करती हूँ किसी को मेरे वजह से दुःख न पहुचे...!
bahut achchhi lagi kavitaa
ReplyDeletebadhaaii shubh kaamnaa
कभी कभी अनाम रिश्ते जीने का सबब बन जाते हैं…………भावो का सुन्दर चित्रण्।
ReplyDeleteaapke hisse ka surj thodaa hmen bhi chahiye roshni ke liyen . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteअपना एक सूरज तलाश लेना बहुत कम को ही नसीब हो पाता है।
ReplyDeleteकविता के कथ्य और शिल्प में मौलिकता अच्छी लगी।
अगर इसे नाम देना
ReplyDeleteजरुरी हो तो
कह सकती हूँ
तुम हो
मेरे हिस्से का सूरज...
बहुत सुन्दर !
मेरे दिल के ख्वाबगाह में
ReplyDeleteगुनगुनाता है एक ग़ज़ल कोई
जो तुम्हारी शक्ल लेता है !
kitna achcha likhti hain aap....
अगर इसे नाम देना
ReplyDeleteजरुरी हो तो
कह सकती हूँ
तुम हो
मेरे हिस्से का सूरज .
ekdam dil ke kareeb hai aapki kavita.
bahut hi sundar...dil me utar gai yah rachna....
ReplyDeleteसरल शब्दों में सुन्दर भाव लिए कविता |बधाई |
ReplyDeleteआशा
सुनने वाले कम ही मिलते हैं । सही कहा आपने वो सूरज होते हैं । बहुत ही अच्छी बातें ,आपकी इस रचना में !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
ReplyDeleteएक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteअगर इसे नाम देना
ReplyDeleteजरुरी हो तो
कह सकती हूँ
तुम हो
मेरे हिस्से का सूरज .
वाह ! ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी !
आदरनिये रश्मि प्रभा जी ,
ReplyDeleteकार्यालीन कार्यो के वजह से बहुत व्यस्त थी इसलिए ब्लॉग्गिंग लगभग बंद सी थी पढना व लिखना दोनों ही नहीं हो प् रहा था , इस समय आपका मेरी कविता को प्रकाशित करना मुझे बहुत सुखद लगा आपका बहुत धन्यवाद .
मंजुला
सभी टिपण्णी करने वाले आदरनिये जनों का धन्यवाद , और अच्छा लिख सकू ये कोशिश करुगी .सारे कमेन्ट मेरे लिए बहुत उपयोगी है दिल से ये बात कहती हूँ .
ReplyDeleteसही नाम दिया है। अच्छी रचना के लिये साधुवाद।
ReplyDeleteस्त्री-पुरुष संबंधों को एक खूबसूरत नाम देने का सफल प्रयास ....बहुत ही अच्छी और खुली हुयी रचना.....
ReplyDeletebahut hi sunder rachna hai stri purush ke sambandho ko darshati
ReplyDeleteतुम्हारा संतावना देता स्पर्श
ReplyDeleteआज भी महसूस करती हूँ
आज भी जब भी अँधेरा होता है
वो सूरज रोशन करता है जीवन
जो तुमने मुझे दिया था..
बहुत भावपूर्ण सुन्दर रचना...बहुत सुन्दर शब्द चित्र उकेरा है..
बहुत ही प्यारी कविता....
ReplyDeleteबहुत खूब मंजुला जी ! इतने प्यारे अहसास और कोमल भावनायें पिरोई हैं आपने रचना में कि मन विभोर हो गया ! बहुत ही अच्छी लगी आपकी यह रचना ! बधाई स्वीकार करें !
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