कॉमा ब्रैकेट स्पेस ... फुलस्टॉप
हुबहू नक़ल की रणनीति से
प्रतिस्पर्धा की आँच पर
पानी के छींटे दिए जा सकते हैं
पर खुद को सही नहीं बनाया जा सकता !
सत्य हर घड़ी मन को आईना दिखाता ही है
कितनी भी परतें चढ़ा लो
असलियत छुपती नहीं ...
हर डाल पर कुल्हाड़ी चलाते हुए
आह !!!
तुम भूल गए
कि तुम अपनी जगह मिटा रहे ...
अपनी जड़ों पर यकीनन मुझे नाज था
नाज है
पर फिलहाल - डालियों की जो दशा तुमने की है
उस बेचैनी ने मुझे दुविधाओं से मुक्त कर दिया
अब निःसंदेह निर्णय मेरे होंगे
बेहिचक मेरे होंगे
!!!!!!!!!!!!!

सुमन सिन्हा

11 comments:

  1. अपनी जड़ों पर यकीनन मुझे नाज था
    नाज है
    पर फिलहाल - डालियों की जो दशा तुमने की है
    उस बेचैनी ने मुझे दुविधाओं से मुक्त कर दिया
    अब निःसंदेह निर्णय मेरे होंगे ....।


    बहुत ही गहन भावों का समावेश इन पंक्तियों में ...आभार इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये ।

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  2. आह !!!
    तुम भूल गए
    कि तुम अपनी जगह मिटा रहे ...
    अपनी जड़ों पर यकीनन मुझे नाज था
    नाज है
    पर फिलहाल - डालियों की जो दशा तुमने की है
    उस बेचैनी ने मुझे दुविधाओं से मुक्त कर दिया
    अब निःसंदेह निर्णय मेरे होंगे
    बेहिचक मेरे होंगे

    कभी कभी ऐसे लम्हात आते है जो जीवन को नयी दिशा दे जाते हैं॥….॥….…॥…और निर्णय लेने मे दुविधा माध्यम नही बनती…॥….॥सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  3. अपनी जड़ों पर यकीनन मुझे नाज था
    नाज है
    पर फिलहाल - डालियों की जो दशा तुमने की है
    उस बेचैनी ने मुझे दुविधाओं से मुक्त कर दिया
    अब निःसंदेह निर्णय मेरे होंगे ।


    बहुत ही गहन भावों का समावेश इन पंक्तियों में आभार ।

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  4. फिलहाल डालियों की जो दशा की है तुमने ...
    अपने निर्णय लेने में स्वतंत्र कर दिया ...

    जख्म भर ही जाते हैं , समय लगता है लेकिन !

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  5. बहुत गहरी बात कहती हुई -मन को छू लेने वाली अभिव्यक्ति .

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  6. बहुत गहन अनुभूति.
    सलाम

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  7. सुमन जी आपके शब्द बिम्ब बहुत सा ऎसा कह दे रहे हैं,जिसे कहना और सुनना अक्सर कोई नही चाहता!
    सुन्दर और गहरे भावो वाली रचना!

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  8. man ko chu lene wali bahut sunder rachna
    badhai

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