सोचा मैंने भी कि तुम्हें भूल जाऊँ
चाहा किसी लम्हें में तेरा नाम न लूँ
पर ये आंसू हैं कि रुकते ही नहीं
चेहरे के रेशों पर तेरा नाम लिख जाते हैं ....

रश्मि प्रभा



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तुम्हारे लिए

कितने अश्क बहाए तेरे लिए.
तुम तो मुझे भी भूल गये हों उम्र भर के लिए...

काश तुम्हारा दिल पहले जैसा होता..
तो आज हम भी मुस्कराते जिंदगी के लिए..

कभी सोचती हु क्या तुम हों इतने प्यार के हक़दार
पर फिर सोचती हुं मै तो हुं ना सिर्फ प्यार देने के लिए..

जाओ अब तुमसे कभी फ़रियाद ना करेंगे
और ना कभी तुम्हारे दर पे प्यार मांगने आयेंगे..
तुम जितना चाहे बदल जाओ ,
आ जाना जब जरुरत पड़े हमारी कभी जिंदगी में..
हम को वही खड़े पाओगे तुम तुम्हारे लिए..
My Photoनीता कोटेचा "नित्या"
शिक्षा : एस .एस .सी
शोख ..लिखना और पढ़ना
जन्म-स्थान : मुंबई..घाटकोपर
वर्तमान पता : नीता कोटेचा
१/१ गरचा हाउस , राजावाड़ी पोस्ट ऑफ के सामने
घाटकोपर (EAST ) मुंबई 400077

14 comments:

  1. सोचा मैंने भी कि तुम्हें भूल जाऊँ
    चाहा किसी लम्हें में तेरा नाम न लूँ
    पर ये आंसू हैं कि रुकते ही नहीं
    चेहरे के रेशों पर तेरा नाम लिख जाते हैं ....
    ....................

    आ जाना जब जरुरत पड़े हमारी कभी जिंदगी में..
    हम को वही खड़े पाओगे तुम तुम्हारे लिए..

    बहुत खूब हर शब्‍द नि:शब्‍द करता हुआ ... इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आपका आभार ।

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  2. आ जाना जब जरुरत पड़े हमारी कभी जिंदगी में..
    हम को वही खड़े पाओगे तुम तुम्हारे लिए..

    वाह, बहुत खूब !

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  3. कभी सोचती हु क्या तुम हों इतने प्यार के हक़दार
    पर फिर सोचती हुं मै तो हुं ना सिर्फ प्यार देने के लिए..

    bahut sunder bhaav ...!!
    आजकल इतनी भागती हुई ज़िन्दगी में मन की कोमलता कहीं छूटती जा रही है ...!!
    ऐसी रचना पढने से भागते भागते एक पल को रुक जाता है मन ...एक सांस पा लेने के लिए ....!!

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  4. चेहरे के रेशों पर तेरा नाम लिख जाते हैं ....
    wah...ekdam gazab ki vyakhya.

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  5. पर ये आंसू हैं कि रुकते ही नहीं
    चेहरे के रेशों पर तेरा नाम लिख जाते हैं .

    bahut hradaysparshi shabd...

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  6. neetu ......... tum hamesha se achcha likhti aai ho bahut achcha lagta hai tumhe yu khush dekh kar ......... bhav se oat-prot rachna

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  7. बस यही तो प्यार है।

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  8. सुन्दर लेखन, गहरे भाव. बधाई ............. !

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  9. मैं तो हूँ ना सिर्फ प्यार देने के लिए ..
    जब यही सोच लिया तो फिर और क्या सोचना ...
    नाम ना भी लें मगर चेहरे के रेशों में लिखे नाम को कैसे छिपायें ...
    सुन्दर !

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  10. एक दर्द सा छुपा है इस रचना में जो मन को छू लेता है...''कितने अश्क बहाये तुम्हारे लिये'' सुंदर !

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  11. अब कद्र कहाँ सच्चे प्यार कि
    प्यार मिलता नहीं है मांगने पर...
    इंतज़ार ही नियति है ..इस प्यार की ...................................बहुत बहुत बढ़िया लिखा है नीता .....रश्मि दीदी शुक्रिया इस कविता के माध्यम से एक अच्छी कविता पढने को मिली
    कुछ पलो के ख्याब थे ,जिंदगी बन के लौट गए .. अजीब बात थी|
    रात की खामोशी भी शोर मचा के लौट गई.. अजीब रुत थी || ................................अंजु(अनु) ..

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