कही छूट जाना एक 'चकरी ' काकही छूट जाना एक 'चकरी ' का

जाने कितना कुछ छूटता जा रहा है अंत में रह क्या जायेगा ... रश्मि प्रभा ====================================================================कही छूट जाना एक 'चकरी ' का इस बार मैं दीपावली पर बैंगलोर न जा सकी । बच्चों के बिना त्यौहार फीका न लगे इसलिये मयंक ही यहाँ आगया ।मयंक में बचपन से ही…

Read more »
31Oct2011

एक बूँद ओस की......एक बूँद ओस की......

बूंद ओस की हो या नमी हो मिट्टी की आँखें अपनी मनःस्थिति जीती हैं .... रश्मि प्रभा ===============================================================एक बूँद ओस की...... सुबह सुबह पत्तों पर दूर से,कुछ चमकते देखा-...लगा जैसे पत्तों में कोई मोती उगा,कौतुहलवश पास गया मुझे लगा शायद ये पत्तों के आँसू हैं !…

Read more »
30Oct2011

मीर की गज़ल सा......मीर की गज़ल सा......

कभी मैं ग़ज़ल कभी तुम ग़ज़ल उम्र का यही इक सफ़र फिर भी ... अजनबी से तुम अजनबी से हम आओ कुछ यादें पिरो लें .... रश्मि प्रभा ============================================================मीर की गज़ल सा....... गांव कीगली के उस नुक्कड परबरगद की छांव तलेमाई बेरी की ढ़ेरी लगाती थीहम सब उसे नानी कहते थे.सड…

Read more »
29Oct2011

" उर्जामय जिन्दगी "

ब्लॉग की दुनिया में चलते चलते कई नाम कई चेहरे अपने हो गए हैं .... नए क़दमों का आना भी जारी है . कम उम्र के नए कदम तो बहुत कुछ जानते हैं , पर उन क़दमों से कदम मिलाते माता-पिता के चेहरों की चमक, उनके शब्दों का सुकून और उनके अनुभवों की धार की बात ही अलग है .... यहाँ से ज़िन्दगी की एक नई शुरुआत होती है …

Read more »
28Oct2011

कशमकश ....कशमकश ....

न ये सही न वो सही असमंजस में है ज़िन्दगी ... रश्मि प्रभा ==============================================================कशमकश .... मैंने अपने सुख दुःख के दोतलों से पूछा ..क्या मैंने अपने से बेवफाई की एक ने कहा-हाँतुमने उस ठंडे पानी कोगर्म राख से झुलसाया हैतूने मेरी परवाह न करउसको सताया है .उसकी…

Read more »
27Oct2011

दीवाली सच में!दीवाली सच में!

BMW / Diamond Ring इसे पाना आसान है माँ मुझे वही देना जो मैंने माँगा है.... रश्मि प्रभा ================================================================== दीवाली सच में!माँ लक्ष्मी आपको कोटिश: नमन और नमन के बाद, खुली चुनौती है! यदि आप ’सच में’ उस सत्य स्वरूप, ईश्वर के प्रतिरूप …

Read more »
26Oct2011

प्रतिच्छायाप्रतिच्छाया

सच और झूठ के बीच भ्रमित मन यथार्थ के स्वाद से दूर होता है ... रश्मि प्रभा =====================================================================प्रतिच्छाया झूठ मैं कह नहीं सकतीसच्चाई तुम सुन नही सकतेविश्वास से भरे सतरंगी सपनेबुन नही सकते।गलती है तुम्हारी या फिर ?दिल तुम्हारा किसी अपनों ने हीभरमाया ह…

Read more »
25Oct2011

संदूकसंदूक

एक संदूक .... कितने सारे रिश्ते कितनी खिलखिलाहट कितनी चाहतें ........ माँ ने कितने ख्वाब संजोकर दिए थे पता था उसे ... यह बड़े काम की चीज होती है ! रश्मि प्रभा =========================================================== संदूक आज...फ़िर,........उस,कोने में पड़े,धूल लगे 'संदूक' को,हाथों से झाड़ा... धू…

Read more »
24Oct2011

कुदाल से त्योरियां ~~कुदाल से त्योरियां ~~

हल तुम चलाते हो पसीने की ईमानदार उम्मीदों से ख्वाब तुम देखते हो तो अपने लहलहाते फसल का मान रखो अपने हक़ की लकीर गहरी खींचो..... रश्मि प्रभा ================================================================= कुदाल से त्योरियां ~~ रोटियाँ उगाने के लियेधरती के माथे परखींचते रहे तुमअनगिनत लकीरें;लहलहा …

Read more »
23Oct2011

ज़ख्मज़ख्म

बन्द हैं चौखट के उस पारअतीत की कोठरी में पलों के रत्न जड़ित आभूषण एक दबी सी आहट सुनाती एक दीर्घ गूंज समय चलता अपनी उलटी चाल घिरता कल्पनाओं का लोक लम्हों को परिचालित करता अपने अक्ष पर प्रतिध्वनित हो उठती अनछुई छुअन सरिता बन जाता समुद्र का ठहराव हरित हो उठती पतझड़ की डालियाँ लघु चिंतन में सिमट जाता प…

Read more »
22Oct2011

रहना चाहता हूँ दूर ......रहना चाहता हूँ दूर ......

सिर्फ स्वप्न हैं अनगिनत आशाओं का एक अजब सा माया जाल है हर तरफ भागमभाग है- आगे बढने की कभी खुद की इच्छा से खुद के बल से और कभी किसी को जबरन धकेल कर किसी 'सीधे' को मोहपाश मे बांध कर तेज़ी से ऊपर की मंज़िल पर चढ़ने की बिना कोई सबक लिए कछुआ और खरगोश की कहानी से। इस मायाजाल से मैं रहना चाहता हूँ दूर खड…

Read more »
21Oct2011

हे अग्नि देवता!हे अग्नि देवता!

हे अग्नि देवता! शारीर के पंचतत्वों  में, तुम विराजमान हो, तुम्ही से जीवन है तुम्हारी ही उर्जा से, पकता और पचता भोजन है तुम्हारा स्पर्श पाते ही, रसासिक्त दीपक  ज्योतिर्मय हो जाते है, दीपवाली छा जाती है और,दूसरी ओर, लकड़ी और उपलों का ढेर, तुमको छूकर कर, जल जाता है, और होली मन जाती है होली हो या दिवाल…

Read more »
20Oct2011

दूरी कब? दूरी कैसी?दूरी कहाँ?दूरी कब? दूरी कैसी?दूरी कहाँ?

हमारे लिए कोई और कैसे कुछ कह सकता है ना सुनते हुए भी हमने सुना है एक दूजे को उस आवाज़ की पहचान कोई और कैसे कर सकता है दो प्यार करनेवालों की एकात्मकता मेंकिसी तीसरे की गवाही मुनासिब नहीं ..... रश्मि प्रभा ======================================================================= दूरी कब? दूरी कैसी?दूरी…

Read more »
19Oct2011
 
Top