मुखौटे के भीतर से कैसी धुन आएगी कौन जानता है !!! रश्मि प्रभा ================================================================= ...
मेरे हिस्से का सूरज ...
मेरे दिल के ख्वाबगाह में गुनगुनाता है एक ग़ज़ल कोई जो तुम्हारी शक्ल लेता है ! मेरी तूलिका ने बाँधा है इन लम्हों को आज तुमने मुझे शायराना ...
क्या ऐसा भी हो सकता है भला कभी!!!!!!
कई बार होता है ऐसा जब अकेलापन गहराता है बुखार से सर तपता है किसी का स्नेहिल स्पर्श सर पे गीली पट्टी सा काम करता है ... सच था या झूठ ... ज...
या देवी सर्वभूतेषु दृष्टि रूपेण संस्थिता
आंसू हर पल आंखों में नहीं तैरते, लम्हा-दर-लम्हा - जब्त हो जाते हैं, विरोध का तेज बन जाते हैं......... तुमने अपनी गरिमा में, आंसुओं को बेमानी...
मृगमरीचिका नहीं --मुझे है जल तक जाना
बहुत रही भुलावे में हरि अब लक्ष्य साधो क्षितिज के भ्रम से अब मुझे उबारो प्यास हुई ये वर्षों की अब पार उतारो .................... रश्मि प...
अडवांसड टेक्नॉलजी... परेशाँ सा ख़ुदा !!
पतझड़ में गिरे शब्द फिर से उग आए हैं पूरे दरख़्त भर जायेंगे फिर मैं लिखूंगी रश्मि प्रभा ========================================...
दबंग यादें *********
यादों के गाँव से चिठ्ठी आई है याद किया है अमरुद के पेड़ ने नन्हे पैरों की चहलकदमी को जो उसकी पतली शाखाओं पर भी मचलते थे याद किया है गोलम...
चुन ली मैंने जो राह नयी है ....
नए कदम दृढ़ हैं अपनी राहों पे उन्हें भरोसा है तो मंजिलें भी चलकर पास आने लगी हैं .... रश्मि प्रभा ==============================...