होशियारी सीखी या नहीं
अनाड़ी हो कि नहीं ... इससे परे
बच्चे बन जाओ
मिलजुल रहो , हंसो , मासूम सपने देखो
न किसी ध्यान की ज़रूरत होगी
न योग की ... बचपन है तो सब है ...




रश्मि प्रभा



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सीखा है हमने...


नन्हें मुन्नों संग खिलखिलाना सीखा है हमने
उनकी मासूमियत अपनाना सीखा है हमने|१|

मिट गए सारे रंजो-गम पल भर के लिए
उनसे सच्छाई आज़माना सीखा है हमने|२|

अहं को परे रख दिया दोस्ती के लिए
उन-सा ही सब कुछ भुलाना सीखा है हमने|३|

चोट लगी ज़ार ज़ार रो पड़े थे हम
रोते-रोते हँसने की कला भी सीखा है हमने|४|

कागज़ों पर आड़ी सीधी रेखाएँ खींचते हैं वो
उनसे उल्टे सीधे शब्द सजाना सीखा है हमने|५|

भा जाती हैं बच्चों की चुलबुली आँखें
गंभीरता के बीच शरारतें भी सीखा है हमने|६|


ग़ल्तियाँ हो जाएँ सर झुका लेते हैं वो
उनसे भूल को स्वीकारना सीखा है हमने|७|

घंटी लगी, आजादी का शोर गूँजा
उनके बीच अपना सुर मिलाना सीखा है हमने|८|
ऋता शेखर 'मधु'

ऋता शेखर ‘मधु’

13 comments:

  1. ग़ल्तियाँ हो जाएँ सर झुका लेते हैं वो
    उनसे भूल को स्वीकारना सीखा है हमने
    बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  2. बहुत सुन्दर !

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  3. जहाँ से जो भी अच्छा मिला...सीखा ही है हमने...सुन्दर रचना.

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  4. सुन्दर सीख देती सुन्दर रचना

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  5. सुंदर सुर मिले आज ...
    बधाई एवं शुभकामनायें ...!!

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  6. वाह! यह तो बहुत ही अच्छी रचना है... आनंद आ गया...
    सादर आभार/बधाई.

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  7. सुन्दर और मासूम अभिलाषा!!

    ग़ल्तियाँ हो जाएँ सर झुका लेते हैं वो
    उनसे भूल को स्वीकारना सीखा है हमने|७|

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  8. बचपन है तो सब है ...BACHPAN KE DIN BHI KYA DIN HAE, JO AB LAUT NAHIN AAPAYENGE

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  9. अच्छा सीखने की कोशिश इंसानियत को पाने की कोशिश है .......ऐसी कोशिशें जारी रहनी चाहिए !

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  10. बहुत अच्छी है मासूमियत से भरपूर

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