फर्क होता है न नाम का
तुम भी जानते हो , मैं भी जानता हूँ
चेहरे के भाव बदलते हैं नाम से
एक नाम के आगे भीड़
बेनाम अकेला - इक छोटी सी गुज़ारिश लिए ....
रश्मि प्रभा

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इक गुज़ारिश है छोटी सी...

इक गुज़ारिश है,
छोटी सी.
जब इन शब्दों को पढना,
इन्हें,
गुलज़ार की आवाज़ में सुनने की कोशिश करना.

चमकते वर्क के नीचे से,
कई मायने निकल आयेंगे.
कई आयामों में,
शब्दों की गहराइयाँ,
महसूस करोगे.

ये करिश्मा है शब्दों का
या
आवाज़ का जादू,
कि
गरमागरम
अल्फाज़ दिल से निकलते हैं,
धड़कन की तरह,
और बर्फ कि तरह जम जाते हैं
अन्दर, सीने के भीतर.

गर तुम कर सको तो ऐसा ज़रूर करना.
वर्ना,
हज़ारों ख्वाहिशों में,
एक ख्वाहिश,
ये भी सही.

- वाणभट्ट
http://vaanbhatt.blogspot.com/

18 comments:

  1. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.

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  2. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  3. गरमागरम
    अल्फाज़ दिल से निकलते हैं,
    धड़कन की तरह,
    और बर्फ कि तरह जम जाते हैं
    अन्दर, सीने के भीतर.
    बहुत खूब गुलज़ार साहब कि मैं भी बहू बड़ी फैन हूँ इस खूबसूरत प्रस्तुति के आभार

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  4. गरमागरम
    अल्फाज़ दिल से निकलते हैं,
    धड़कन की तरह,
    और बर्फ कि तरह जम जाते हैं
    अन्दर, सीने के भीतर.
    awesome... kitna sundar...
    waah...

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  5. गर तुम कर सको तो ऐसा ज़रूर करना.
    वर्ना,
    हज़ारों ख्वाहिशों में,
    एक ख्वाहिश,
    ये भी सही...
    सुन्दर!

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  6. चमकते वर्क के नीचे से,
    कई मायने निकल आयेंगे.
    कई आयामों में,
    शब्दों की गहराइयाँ,
    महसूस करोगे.

    बहुत खूब सर!

    सादर

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  7. बेहद भाव युक्त अभिव्यक्ति!!

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  8. बहुत सुन्दर रचना...
    सादर बधाई/आभार...

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  9. गुलज़ार साहब को सुन चुका हूँ इसलिए कह सकता हूँ ... ऐसी ख्वाहिश पूरी हो जाय तो शब्दों को जीवित भाव मिल जायेंगे ...

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  10. waah..sach men lagaa ki Gulzaar sahab ko sun raha hun...bahut sundar

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  11. waah..sach men lagaa ki Gulzaar sahab ko sun raha hun...bahut sundar

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  12. मुझे भी आज तक समझ नहीं आया कि गुलज़ार साब के शब्द ज्यादा खूबसूरत हैं या उनकी आवाज |

    सादर

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  13. रश्मि जी शब्द नहीं हैं...धन्यवाद के लिए...

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