दस दिन हुए
नहीं खायीं तरकारियाँ
स्वाद भूल गया दाल का
भूखा पेट है?
मत रो
मत चिल्ला..
जोर से खखार
"बीडी" जला!
भूल जा गाँव के खेत
नदी के किनारेऔर
नदी के किनारेऔर
Behad damdaar aur khoobsoorat rachna badhai
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeletejeevan ka aisa saty bhi hota hai...
ReplyDeleteऐसे नवयुवको के गाल पर एक बढ़िया तमाचा है जो गाँव में सब कुछ छोड़कर अपने खेतों को संभालने की बजाय शहरी बनने की धुन में अपना सुख चैन ,आत्मसम्मान सब गँवा बैठते हैं उनके लिए बढ़िया सुझाव दिया है बीडी जला फूंक अपना कलेजा
ReplyDeleteबीडी जलाने से क्या सभी दुख दुर हो जायेगे?
ReplyDeleteहर शहर में ऐसे बीड़ी आश्रित लोगों की एक भारी तादाद मिलती है , परिवार , समाज , खुशियों सब से दूर |
ReplyDeleteसादर