कहीं तो होगी मधुशाला
बूंद बूंद में जीवन हाला ....
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१)
तम-प्रकाश की मिश्रित हाला.
सबल विवेक, निर्बल विकार हों
आशाएं मेरी मधुशाला!
२)
ओ छल-साकी मत पिला अब
इतना कि होऊं मतवाला.
सुध-बुध की है यहाँ चौकडी,
अंतर्मन है मधुशाला!
३)
नयना मेरे मधुघट हैं और
चिर उमंग चांदी सा प्याला.
गरिमा की हाला प्रबोधिनी,
स्वर्णलता सी मधुशाला!
४)
रुकते-रुकते चल पड़े मन,
ऐसी आशाओं की हाला.
और चलके रुक जाए जहाँ पर
वहीँ-वहीँ हो मधुशाला
मधुरेश
http://madhushaalaa-sumit.blogspot.in/
बेहतर लेखन !!
ReplyDeleteउचित चयन |
ReplyDeleteसादर