कोई तो है जो आँधियों में मंबूत तने सा सहारा देता है
कोई तो है जो मझदार में तिनके सा सहारा बनता है ...
कौन है सूने हृदय मे?
कौन आहें भर रहा है?
कौन गर्वित भाव से ?
स्नेह वर्षा कर रहा है?
कौन है जो चक्षुओं से
पीर के मोती पिरोता
कौन है जो स्वप्न मे,
आके है रोता?
कौन है जो अदृश्य होके
दृश्य मेरे ले रहा है
कौन है जो मौनता से
दिशा ज्ञान दे रहा है।
कौन है जिसने
अभी थामी थी बाहें
कौन है जिसके,
बिना सूनी है राहें ?
मुझे बहुत अच्छी लगी कविता और सबसे अच्छी बात कि इसमें तुकबंदी का ख्याल भी रखा गया है |
ReplyDeleteसादर
अनुपम भावों का संगम ...
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
आभार आपका
्सुन्दर भाव
ReplyDeleteग़ज़ब...अदृश्य को सम्बोधित करती रचना!!
ReplyDeleteसुंदर कविता है यह.
ReplyDeleteसुंदर भाव ....उत्कृष्ट रचना ....
ReplyDeleteभाव अच्छे हैं..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबेहतर लेखनी !!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया .बधाई
ReplyDeleteभावों से परिपूर्ण सुंदर काव्यमयी रचना...बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आभार...वाकई कविता बहुत अच्छी रची गई है.. बधाई
ReplyDeleteउत्तम भाव-भीनी रचना
ReplyDeleteसाधुवाद
सादर
अच्छी प्रस्तुति ...
ReplyDeleteshukriya Rashmi Di
ReplyDelete