गिरवी है साँसें
और कहते हो सब ठीक है !!!!!!!!!!!!!!!!
ठीक है!
कहाँ ठीक है?
और तुम कहते हो
ठीक है!
नौकरी के लिए
बाप को मारते हैं
छोकरी के लिए
माँ को मारते हैं
और तुम कहते हो
ठीक है!
कहाँ ठीक है?
अब तो करने लगे हैं
चमत्कार!
राह चलते बस में
बलात्कार!
विरोध करो तो
लाठी, पानी की बौछार
और तुम कहते हो ठीक है!
कहाँ ठीक है?
माना कि
तुम्हारे पास भी बेटियाँ हैं
लेकिन तुमने यह नहीं जाना
कि हमारे पास
सिर्फ बेटियाँ हैं
न एसी कार, न सिपहसलार,
ले देकर प्यार ही प्यार है
जख्म मिलता है तो दिखाते हैं गुस्सा
यह गुस्सा नहीं
जरा ठीक से समझो
यह हमारे
आँसुओं की धार है
और तुम कहते हो ठीक है!
कहाँ ठीक है?
ठीक तुम्हारे लिए होगा बाबू
हमारे लिए तो
सब बेठीक है।
ठीक तो तब होगा
जब 'छक्के' भी लगाने लगेंगे 'छक्का'
उखाड़ देंगे तुम्हारी गिल्लियाँ
कर देंगे तुम्हें क्लीन बोल्ड
तब हम कहेंगे..
ठीक है!
हाँ, अब ठीक है।
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नोटः अभी तक तो ब्लॉग से फेसबुक में स्टेटस लिखता था आज पहली बार हुआ कि फेसबुक में स्टेटस लिखते-लिखते यह व्यंग्य लिखा गया। लिखा तो सिर्फ 10 मिनट में है लेकिन दर्द तो कई दिनो का है।
देवेन्द्र पाण्डेय
कर देंगे तुम्हें क्लीन बोल्ड
ReplyDeleteतब हम कहेंगे..
ठीक है!
हाँ, अब ठीक है।
हाँ ,तब हम कहेंगे ,अब ठीक है ... !!
गिरवी है साँसें
ReplyDeleteऔर कहते हो सब ठीक है !!!!!!!!!!!!!!!!
बिल्कुल सच
सादर
sach kaha ..kuchh thik nahi hai ...nyyay prkriya itni sust hai ki usake saamne prajtantr ki saari praja balhin hai ..aashchry ..
ReplyDeleteयह कविता वटवृक्ष पर आ गई! अपनी-अपनी किस्मत है।..आभार।
ReplyDeleteसन्नाट रचना, पहले पड़ी, दुबारा पढ़कर उतना ही आनन्द आया।
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