ख्याल उनींदी पलकों में भी होते हैं
तेरा होना ख्याल सा .... जीवन सार लगता है !
रश्मि प्रभा
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सुनहरी धूप में
आँखों को चौंधियाते
भुरभुरी रेत के टीबे से
होते हैं कुछ ख़याल
छू कर देखे तो
पल में बिखर जाते हैं !
उम्र की सरहदों के पार
बालों से झांकती सफेदी के बीच
मोतियाबंदी आँखों में झिलमिलाते
पोपले चेहरे की लजीली मुस्कराहट
हमसाया सा आस -पास
जीवन भर रहता एक ख़याल !!
अहसास की किताबों के पन्ने
लिखे जाते हैं स्वयं ही
मन हुआ तो पढ़ लिया
वर्ना पन्ने पलट दिए .
ऐसे ही किसी पन्ने पर
लिखा हुआ कोई ख़याल !!
काली गहरी रात के वितान पर
सुनहरे सितारों से सजा
बेखटके निहारते
आसमान पर टांग दिया
एक खयाल !
जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत -सा
पलकों के इर्द गिर्द रहा एक ख्याल
मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं
गीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!
वाणी शर्मा
जीवन मुट्ठी से फिसलती रेत -सा
ReplyDeleteपलकों के इर्द गिर्द रहा एक ख्याल
मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं
गीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!
अनुपम भाव लिये उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं
ReplyDeleteगीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!
गहन लेखन वाणी जी का ...
हृदयस्पर्शी रचना .....
बहुत आभार !
ReplyDeletesunder rachna..
ReplyDeleteगीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!
ReplyDeleteचुनिंदा शब्दों का चयन , विचारशील रचना |
सादर
मुद्दतों यही सोच कर आँखें रोई नहीं
गीली रेत पर क़दमों के निशाँ साफ़ नजर आते हैं .!!
..बहुत भावपूर्ण अहसास...बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति...