गिरेबां हो तो देखना
कुछ बाकी है क्या ....
नन्ही गुड़िया की कलम से डरे
हुकूमतें तुम्हारी क्यों हिलने लगी ?
नहीं बंद रही वो
घर की दहलीज़ के भीतर
नहीं रही सिमटी
तुम्हारे बिस्तरों के सिलवटों में
विस्तार दे रही थी
अपने पंखों को
मिशाल बन रही थी
घोसले में सहमी फर्गुदियाओं के लिए
तुम्हारी सत्ता को ललकार नहीं रही थी
अपने वजूद का निर्माण कर रही थी
बुज़दिल !
छिपकर निशाना साधते हुए
रूह न कांपी तुम्हारी
क्या कुसूर था उसका ?
अमन पसंद उसने कलम से आवाज़ उठाई
आग उगलती गोलियों से
कर सकोगे उसकी आवाज़ बंद ?
स्याह अक्षरों ने आगाज़ किया है
तुम्हारा वजूद स्याह करने के लिए ..!!!
शोभा मिश्रा
मलाला ने जो किया वो वाकई मिसाल कायम करता है और उसके साथ जो हुआ वो भी हैवानियत की हद है |
ReplyDeleteबहुत अच्छे ढंग से उकेरे गए भाव |
मुझमें भी तुम सी हिम्मत है ,
मेरे भी ऊंचे अरमां हैं ,
उस पार मुझे भी जाना है ,
दीवार खड़ी है , गिरवा दो ,
पंख मेरे भी लगवा दो |
.
सादर
बढ़िया प्रस्तुति !
ReplyDeleteकर सकोगे उसकी आवाज़ बंद ?
ReplyDeleteस्याह अक्षरों ने आगाज़ किया है
तुम्हारा वजूद स्याह करने के लिए ..!!!
सच एक मिसाल है मलाला ...
सार्थकता लिये सशक्त अभिव्यक्ति
बुज़दिल !
ReplyDeleteछिपकर निशाना साधते हुए
रूह न कांपी तुम्हारी
क्या कुसूर था उसका ?
अमन पसंद उसने कलम से आवाज़ उठाई
आग उगलती गोलियों से
कर सकोगे उसकी आवाज़ बंद ?
स्याह अक्षरों ने आगाज़ किया है
तुम्हारा वजूद स्याह करने के लिए ..!!!
sashakt sarthak abhivyakti ......
sundar aur sarthak rachna..
ReplyDeleteबेहतर लेखनी !!!
ReplyDeletebehtareen.. sashakt...
ReplyDeletelekhni ko salam...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा 14/12/12,कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है
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