कल्पना में कल्पना की दौड़ ... हकीकत की चाह, ....बुनकर की तरह चेहरे,रिश्ते,सपने,आंसू बुनते जाना और कल्पना में खिलखिलाते झरने की राह देखना .... क्या नहीं आता ख्यालों में - लालपरी,अलादीन का चिराग,अनारकली -सलीम, झांसी की रानी,सीता,बुद्ध,राम,कृष्ण ..... कितना कुछ लिखना जो होता है ! लिखने के लिए पूरे दिन की सैर - अजनबी मुलाकातें, परिचित अपने से लगते ख्याल ... फिर उन ख्यालों के साथ ख्यालों की उड़ान .....
उड़ ही रही थी की मोबाइल बज उठा - अपरिचित नम्बर !!! शायद किसी ब्लॉगर का होगा - हलो ....
'जय लक्ष्मी जी की श्रीमती जी'
जय लक्ष्मी ...
'श्रीमती जी, आपका यह नम्बर माँ लक्ष्मी की कृपा से हमें मिला है,माँ और गुरु का आदेश हुआ कि आपसे संपर्क किया जाये'
:) ... अच्छा ! तो बोलिए ...
'श्रीमती जी आपके पास माँ लक्ष्मी की छः धातुएँ भेजी जाएँगी .... श्रीमती जी ये बताएं कि आप शादीशुदा हैं या नहीं?'
................... इच्छा हुई कहूँ, माँ लक्ष्मी ने ये नहीं बताया? और जब पता ही नहीं तो श्रीमती जी क्यूँ कहकर बुला रहे थे ! .... परन्तु एक ब्रेक के लिए मैंने वार्ता जारी रखी ...
जी हाँ,शादीशुदा हूँ ...
'अच्छा तो श्रीमती जी, ये जो धातुएं भेजी जाएँगी,उसमे एक आल्मीरे में रखना है,एक पति के पर्स में,एक बाहर ....... गुरु जी स्वयं आपसे शाम में बात करेंगे . बच्चों की विघ्न बाधाएं हटाने के लिए कोई अनुष्ठान करवाना चाहें तो उनके नाम और पता बताएं ... 1100/ धातुओं की कीमत होगी'
मुझे किसी का पता याद नहीं रहता, उनसे पूछूंगी ...
'कोई बात नहीं श्रीमती जी, आप अपना पता दे दीजिये ताकि यन्त्र,धातुएं भेजी जा सकें ...'
ये लीजिये, मुझे तो लगा की माता लक्ष्मी ने नम्बर के साथ मेरा पता भी दिया होगा :) ... मुझे तो अपने पते की भी जानकारी नहीं .... पूछकर शाम में बता दूंगी ...
'शाम में ?????????????????'
हाँ ... गुरु जी बात करनेवाले हैं न .........
ठगने की इस विधा को लोग बढ़ा रहे क्योंकि कई मासूम ठगे जाते हैं . सोचनेवाली बात है - जब माँ लक्ष्मी मोबाइल नम्बर भेज सकती हैं किसी अनजाने को तो सीधा मेरे पास क्यूँ नहीं आएँगी ! खैर मुझे बहुत मज़ा भी आया .........
अब इस ब्रेक में काजल कुमार के कार्टून्स का मज़ा लेते हैं
...
वाकई बेमिसाल हैं काजल जी के बने कार्टून :)
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ReplyDeleteखैर मुझे बहुत मज़ा भी आया ... :)
ReplyDeleteकाज़ल कुमार जी द्वारा बनाये गये सभी कार्टून ... बहुत ही अच्छे लगे
रोचक प्रस्तुति के लिये आभार
बेहतर लेखन !!!
ReplyDeleteमाँ लक्ष्मी की कृपा से मिलने वाले नंबरों के बजाय यहां दिल्ली में लोगों के ईनाम निकलते हैं, बस फ़ोन करके उन्हें फ़लॉ-फ़लॉ दफ्तरों से कलेक्ट कर लेने की दरयाफ़्त रहती है...
ReplyDeleteकार्टूनों को भी सम्मिलित करने के लिए आपका विनम्र आभार :)
कार्टून बहुत अच्छे हैं , और उतनी ही मजेदार संस्मरण कथा है |
ReplyDeleteसादर
बहुत उम्दा,लाजबाब कार्टून ....
ReplyDeleterecent post: रूप संवारा नहीं,,,
जब लोग लुटने को तैयार बैठे हैं तो लोग लूटेंगे क्यों नहीं। काजल कुमार जी के कार्टून पूर्व में ही देख लिये हैं।
ReplyDeleteकाजल जी के कार्टून्स का तो जवाब नहीं :)
ReplyDeleteshaandar! sabhi channel lootne ka dhanda apna rakha hai!
ReplyDeletekartoon majedaar hain!
badhaiyan!
काजल जी के कार्टून और व्यंग्य या कार्टून में व्यंग्य ,दोनों ही लाजवाब है!
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