सबूत तो जला दिए जाते हैं
जो पेश है - वह झूठ है !
रश्मि प्रभा
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सबूत कर रहा हूं इकट्ठा
वो सारे सबूत
वो सारे आंकडे
और
जिसे बडी खूबसूरती से
तुमने सच का जामा पहनाया है
कितना बडा छलावा है
मेरे भोले-भाले मासूम जन
ब-आसानी आ जाते हैं झांसे में
ओ जादूगरों
ओ हाथ की सफाई के माहिर लोगों
तुम्हारा तिलस्म है ऎसा
कि सम्मोहित से लोग
कर लेते यकीन
अपने मौजूदा हालात के लिए
खुद को मान लेते कुसूरवार
खुद को भाग्यहीन......
ओ जादूगरों
ReplyDeleteओ हाथ की सफाई के माहिर लोगों
तुम्हारा तिलस्म है ऎसा
कि सम्मोहित से लोग
कर लेते यकीन
अपने मौजूदा हालात के लिए
खुद को मान लेते कुसूरवार
खुद को भाग्यहीन......
अनुभव के शब्द दिखे !!
हथेली पर सरसों उगाना कोई इनसे सीखे...
ReplyDeleteजादू है या तलिस्म है उनकी जुबान में
वो झूठ कह रहा था मुझे ऐतबार था...
रचना में छिपा व्यंग धारदार है
ReplyDeleteसटीक व्यंग आभार
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