कोई तो है जो आँधियों में मंबूत तने सा सहारा देता है 
कोई तो है जो मझदार में तिनके सा सहारा बनता है ...



रश्मि प्रभा 
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कौन है सूने हृदय मे?
कौन आहें भर रहा है?
कौन गर्वित भाव से ?
स्नेह वर्षा कर रहा है?

...
कौन है जो चक्षुओं से 
पीर के मोती पिरोता
कौन है जो स्वप्न मे, 
आके है रोता? 

कौन है जो अदृश्य होके 
दृश्य मेरे ले रहा है 
कौन है जो मौनता से 
दिशा ज्ञान दे रहा है।

कौन है जिसने 
अभी थामी थी बाहें 
कौन है जिसके,
बिना सूनी है राहें ?

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सोनिया बहुखंडी गौड़ 

14 comments:

  1. मुझे बहुत अच्छी लगी कविता और सबसे अच्छी बात कि इसमें तुकबंदी का ख्याल भी रखा गया है |

    सादर

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  2. अनुपम भावों का संगम ...
    उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति

    आभार आपका

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  3. ग़ज़ब...अदृश्य को सम्बोधित करती रचना!!

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  4. सुंदर भाव ....उत्कृष्ट रचना ....

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  5. बेहतर लेखनी !!!

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  6. बहुत बढ़िया .बधाई

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  7. भावों से परिपूर्ण सुंदर काव्यमयी रचना...बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आभार...वाकई कविता बहुत अच्छी रची गई है.. बधाई

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  8. उत्तम भाव-भीनी रचना
    साधुवाद
    सादर

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